शहर को पहली टाउनशिप देने वाले प्रवीण मंगला का कारोबारी सफर है संघर्ष की दास्तां
कभी मोटरसाइकिल से बेचते थे माल, आज मर्सिडीज के टॉप मॉडल में करते हैं सफर
शहर को पहली टाउनशिप देने वाले प्रवीण मंगला का कारोबारी सफर है संघर्ष की दास्तां,
हरियाणा के जिला फरीदाबाद में प्रवीण मंगला ने 1994 में सेनेटरी और हार्डवेयर का काम शुरू किया तब एक साधारण मोटरसाइकिल हुआ करती थी। अलीगढ़ शहर को पहली टाउनशिप ओजोन देने का श्रेय उन्हें है और मोटरसाइकिल की जगह मर्सिडीज के टॉप मॉडल ने ले ली है। प्रवीण का यहां तक का सफर इतना आसान नहीं था। फरीदाबाद के गांव हसनपुर में 1972 में जन्मे प्रवीण मंगला के पिता बर्तन कारोबारी स्वर्गीय गोपाल दास मंगला का सन 1988 में हादसे में निधन हो गया। पिता के निधन से प्रवीण को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। वह कक्षा 12 में पढ़ रहे थे। 1994 आते आते परिवार में कारोबार का बंटवारा हो गया। उन्हें शून्य से शुरुआत करनी पड़ी। फरीदाबाद में सेनेटरी का काम था। बिल्डरों को माल सप्लाई करते करते खुद भी भवन निर्माण के क्षेत्र में हाथ आजमाया और 250 गज के भूखंडों पर निर्माण करके दिया।

अलीगढ़ में ओजोन प्रोजेक्ट रहा टर्निंग प्वाइंट प्रवीण शुरू से ही कुछ बड़ा करना चाहते थे। इसी क्रम में दोस्त संजीव मदान उनकी व्यावसायिक यात्रा में साझेदार के रूप में शामिल हो गए। कारोबार आगे बढ़ाने के लिए आगरा, अलवर, ग्वालियर, उत्तराखंड के रुड़की, आदि शहरों का सर्वे कराया। व्यवहारिक रिपोर्ट तैयार करवाई। अलीगढ़ की प्रोजेक्ट रिपोर्ट यहां जमीन के दाम, निर्माण सामग्री आदि की दृष्टि से बेहतर आई। इसके बाद सन 2007 में यहां ओजोन सिटी प्रोजेक्ट शुरू किया। शुरू में स्थानीय स्तर पर सहयोग जुटाने के लिए कवायद करनी पड़ी। यहां से कारोबारी सफलता का दौर शुरू हुआ।
अगली पीढ़ी को सौंप रहे हैं कारोबार प्रवीण मंगला के परिवार में उनकी मां ओमवती देवी मंगला, पत्नी प्रीती मंगला, बड़े बेटे सागर मंगला और छोटे बेटे नमन मंगला हैं। दोनों बेटे मिलकर प्रवीण के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं। रियल एस्टेट को कॉरपोरेट की ओर ले जा रहे हैं। गन शूटिंग, फ्लाइंग एयरक्राफ्ट, सिंगिंग, कुकिंग, योगा व मेडिटेशन का शौक रखने वाले प्रवीण मंगला कहते हैं कि सफलता का मूल मंत्र दिल और दिमाग का संतुलन रखते हुए बड़े लक्ष्य निर्धारित करना है।